मानवों में लिंग का निर्धारण विशेष लिंग गुण सूत्रों के आधार पर होता है। नर में XY गुण सूत्र होते हैं और मादा में XX गुण सूत्र विद्यमान होते हैं। इससे स्पष्ट है कि मादा के पास Y गुण सूत्र होता ही नहीं है।
जब नर-मादा के संयोग से संतान उत्पन्न होती है तो मादा किसी भी अवस्था में नर शिशु को उत्पन्न करने में समर्थ हो ही नहीं सकती क्योंकि नर शिशु में XY गुण सूत्र होने चाहिए। लिंग निर्धारण के लिए पिता
उत्तरदायी है।
निषेचन क्रिया में यदि पुरुष का X लिंग गुणसूत्र स्त्री के x लिंग गुणसूत्र से मिलता है तो इससे XX जोड़ा बनेगा अतः संतान लड़की के रूप में होगी लेकिन जब पुरुष
का Y लिंग गुण सूत्र स्त्री के X लिंग गुण सूत्र से मिलकर निषेचन । करेगा तो XY बनेगा।
इससे लड़के । का जन्म होगा किसी भी परिवार में लड़के या लड़की का जन्म पुरुष के गुण सूत्रों पर निर्भर करता है क्योंकि Y गुण सूत्र तो केवल उसी । के पास होता है।


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