सभी कोशिकाओं में ऑन्कोजीन्स (onchogenes) उपस्थि ती है। किसी भी कारण से ये ऑन्कोजीन्स सक्रिय हो जाती है तथा कैन्सर कोशिकाएँ त्पन्न करने लगती है!
ओ पदार्थ कैन्सर उत्पन्न करते हैं उन्हें कैंसर कारक या कार्सनोजेन (Carcinogens) कहते हैं।
कोलतार सिगरेट का धुआ, एस्बेस्टॉस की धूल, निकल या क्रोमियम के यौगिक आदि कुछ ज्ञात कार्सनोजेन है।
कभी-कभी विषाणु संक्रमण भी ऑन्कोजीन्स को सक्रिय कर देता है। सकता है—
कैन्सर को निम्नलिखित तीन समूहों में बाँटा जा
(i) कासींनोमा (Carcinoma) जो कैन्सर एक्टोडर्म उद्गम के ऊतकों में होता है, उसे कासनोमा कहते हैं, !
जैसे-स्तन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर आदि |
(2) सार्कोमा (Sarcoma) जो कैसर मीसोडर्म उद्गम के ऊतकों में होता है उसे सार्कोमा कहते है, जैसे अस्थि कैंसर, लसीका गाँठों का कैंसर आदि।
(3) ल्यूकोपिया (Leukaemia) यह रुधिर की कोशिकाओं का कैंसर है।
किसी भी प्रकार का कैंसर कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि के कारण होता है। ये कोशिकाएँ तेजी से फैलती है!
तथा ट्यूमर (tumor) का निर्माण कर लेती है। कैस कोशिकाएँ सामान्य कोशिकाओं का भोजन व ऑक्सीजन अपने प्रयोग में ले लेती है।
सामान्य कोशिकाओं की मृत्यु होने लगती है।
हुए कोशिकाओं की यह वृद्धि लसीका द्वारा दूसरे ऊतकों में भी पहुँच जाती है।
वहाँ द्वितीयक ट्यूमर (secondary tumor) को मेटोस्टैसिस (metastasis) कहते हैं।
उपचार (Treatment) इसका इलाज निम्नलिखित तरह से हो सकता है
ऑपरेशन के द्वारा पूरे Cancerous tissues को हटा देना। • Radiation इस विधि में X-rays के प्रभाव से कैंसर वाले भाग को समाप्त कर दिया जाता है।
• Anti Cancer drug के द्वारा भी Cancer का इलाज संभव है, ये दवा Cell-division को रोक देते है। इसी प्रकार अधिकाशं कैंसर का इलाज Surgery, Radiation और Chemotheraphyके द्वारा किया जाता है।
QNo2. परागण किसे कहते हैं? पर-परागण का वर्णन कीजिए।
उत्तर- परागकणों के वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया परागण कहलाती है। परागण दो प्रकार का होता है
(i) स्वपरागण - जब एक ही फूल के परागकण परिपक्व होकर उसी फूल के स्त्रीकेसर की वर्तिकाग्र पर गिर जाते हैं तो यह क्रिया स्वपरागण कहलाती है। जैसे बैंगन, टमाटर, सरसों आदि।
(ii) पर परागण - जब एक फूल के परागकण वायु, कीट आदि द्वारा किसी दूसरे फूल के स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं तो इस क्रिया को पर परागण कहते हैं।
पर-परागण अनेक प्रकार से होता है
(i) वायु द्वारा- तेज हवा चलने से किसी फूल के परागकण दूसरे फूलों के वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं। फसलों में परागण प्रायः इसी प्रकार से होता है।
(ii) कीट-पतंगों द्वारा- फूलों के रंग-सुगन्ध इत्यादि से आकृष्ट होकर भंवरे-तितलियाँ उन पर बैठते हैं। उनके पंखों, पाँव आदि में परागकण चिपक कर अन्य फूलों के वर्तिकाग्र तक जाते हैं।
(iii) पानी द्वारा- जलीय पौधों में परागकण पानी पर बहते हुए दूसरे फूलों का परागण करा देते हैं।
(iv) मनुष्य द्वारा- अच्छे बीज प्राप्त करने के लिए अच्छे परागकणों को फूलों के मादा भागों से कृत्रिम रूप से मिलाते हैं। इससे अच्छी उपज प्राप्त करना संभव है।
(v) पक्षियों द्वारा- फूलों का रस प्राप्त करते समय कुछ पक्षी अपनी चोंच में परागकणों को चिपका कर दूसरे फूलों तक पहुँचा कर परपरागण करते हैं।
Qno2प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कौन कौन से कारक प्रभावित करते हैं स्पष्ट कीजिए
उत्तर-(i) प्रकाश (Light)-प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया
में होती है, इसलिए प्रकाश का प्रकार तथा उसकी तीव्रता (intensity) इस क्रिया को प्रभावित करती है।
प्रकाश की लाल एवं नीली किरणें तथा 100
फुट कैण्डल से 3000 फुट कैण्डल तक की प्रकाश तीव्रता प्रकाश-संश्लेषण की दर को बढ़ाती है
जबकि इससे उच्च तीव्रता पर यह क्रिया रुक जाती है।
(ii) CO2 वातावरण में CO, की मात्रा 0.03% होती है। यदि एक सीमा तक CO, की मात्रा बढ़ाई जाए तो प्रकाश-संश्लेषण की दर भी बढ़ती है लेकिन अधिक होने से घटने लगती है। (ii) तापमान (Temperature) प्रकाश-संश्लेषण के लिए 25-35°C
का तापक्रम सबसे उपयुक्त होता है। इससे अधिक या कम होने पर प्रकाश-संश्लेषण दर घटती-बढ़ती रहती है
(iv) जल (Water) इस क्रिया के लिए जल एक महत्त्वपूर्ण यौगिक है। जल की कमी से प्रकाश-संश्लेषण क्रिया प्रभावित होती है। जलाभाव में जीवद्रव्य की सक्रियता घट जाती है, स्टोमेटा बन्द हो जाते हैं और प्रकाश-संश्लेषणकी दर घट जाती है।
(v) ऑक्सीजन (0,)-प्रत्यक्ष रूप से ऑक्सीजन की सान्द्रता से प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया प्रभावित नहीं होती है। वायुमण्डल में 0, की मात्रा बढ़ने से प्रकाश-संश्लेषण की दर घटती है। ऐसा माना जाता है।
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