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एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाएं इसे कार्यों का वर्णन करें!

तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) संदेशों का संवहन करने वाली मूल इकाई है। यह विशेष रूप से लंबी होती है। इसमें जीवद्रव्य से घिरा हुआ केंद्रक होता है।

 जीव द्रव्य से डैंड्राइट्स नामक अनेक छोटी-छोटी शाखाएँ निकलती हैं। इन शाखाओं में से एक शाखा अधिक लंबी होती है। इसे एक्सॉन कहते हैं। 

यह संदेशों को कोशिका से दूर ले जाता है। कोई भी तंत्रिका कोशिका सीधी दूसरी तंत्रिका कोशिका से जुड़ी हुई नहीं होती। इनके बीच कुछ रिक्त स्थान होता है 


जिसमें बहुत-ही समीप का संवहन होता है। इसे अंतर्ग्रथन कहते हैं। यदि हमारे पैर में दर्द है तो इसकी सूचना पैर में स्थित संवेदी तंत्रिका कोशिका के डेंड्राइट ग्रहण करते हैं। 

तंत्रिका कोशिका उसे विद्युत संकेत में बदल देती है। यह विद्युत संकेत तंत्रिकाक्ष के द्वारा प्रवाहित होता है। अंतर्ग्रंथन में होता हुआ यह मस्तिष्क तक पहुँचता है। 

मस्तिष्क संदेश ग्रहण कर उस पर अनुक्रिया करता है। प्रेरक तंत्रिका इस अनुक्रिया को पैर की पेशियों तक पहुँचाती है और पैर की पेशियाँ उचित अनुक्रिया करती हैं। तंत्रिका कोशिका

(न्यूरॉन) तीन प्रकार की हैं
(i) संवेदी तंत्रिकोशिका शरीर के विभिन्न भागों से यह संवेदनाओं को मस्तिष्क की ओर ले जाती हैं।

(ii) प्रेरक तंत्रिकोशिका-यह मस्तिष्क से आदेशों को पेशियों तक
पहुँचाती हैं।

(iii) बहुध्रुवी तंत्रिकोशिका-यह संवेदनाओं को मस्तिष्क की तरफ और मस्तिष्क से पेशियों की ओर ले जाने का कार्य करती हैं । प्राणियों  शरीर में दो तंत्रिका कोशिका ( न्यूरॉन) एक-दूसरे के साथ जुड़कर श्रृंखला बनाते हैं

 और सूचना आगे प्रेषित करते हैं। सूचना एक तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृतिक सिरे द्वारा उपार्जित की जाती है और एक रासायनिक क्रिया के द्वारा एक विद्युत आवेग उत्पन्न करती है। यह आवेग द्रुमिका से कोशिकाओं तक पहुँचता है और तंत्रिकाक्ष में होता हुआ 

इसके अंतिम सिरे तक पहुँच जाता है। तंत्रिकाक्ष के अंत में विद्युत आवेग के द्वारा कुछ रसायनों को उत्पन्न कराया जाता है जो रिक्त स्थान (सिनेप्टिक दरार)को पार कर अपने से अगली तंत्रिका कोशिका की द्रुमिका में इसी प्रकार विद्युत आवेश को आरंभ कराते हैं

    यह शरीर में तंत्रिका आवेग की मात्रा की सामान्य
  योजना है। इसी प्रकार का एक अंतर्ग्रथन (Synapse) ऐसे आवेगों को तंत्रिका कोशिका से अन्य कोशिकाओं या ग्रंथियों तक ले जाता है।

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