से एक राष्ट्र के रूप में भारत की चेतना, सक्रियता, गतिशीलता और चंचलता पर प्रकाश डाला गया है। भारत एक संवेदनशील देश है।
यह मात्र नक्शे का भारत नहीं है। यह प्रेम, त्याग, सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह का भारत है। हमें व्यर्थ ही भारत का नाम नहीं लेना चाहिए। यह मात्र मानचित्र पर मिलनेवाले देशभारत का नाम नहीं है। यह भू पर नहीं है।
यह विश्व के लोगों के मनों में बसा हुआ है धरती पर यदि ऊँचा ले जाने वाला कोई सपना है तो वह भारत देश है।
स्वर्ग को धरती पर लाने वाला कोई विचार है तो वह भारतवर्ष है ।भारत एक विचार का पर्याय है जिसे पाकर मनुष्य जाग खड़ा होता है।
भारत एक खिला हुआ कमल है, जिसपर कोई दाग नहीं लगता है ।भारत एक आध्यात्मिक देश है।
यह मनुष्य के अंदर राम को जाग्रत कर देता है। यह देश वैराग्य का संदेश देता है, जिससे आत्मा उज्ज्वल बन जाती है। इससे मनुष्य का उदय होता है।
मनुष्य की सबसे बड़ी आभा और दिव्यता-उच्चता पवित्रता का प्रतीक भारत है। यह विजय संसार के
एक मनुष्य के भीतर की सबसे बड़ी विजय है।
निष्कर्षतः, कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ने भारत की श्रेष्ठता-दिव्यता- संवेदनशीलता पर इस कविता में
प्रकाश डाला है। भारत के गुणों पर प्रकाश डाला है। कवि ने भारत के विशेषणों को सामने लाया है ।
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