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बैक क्रॉस (Back cross) एवं टेस्ट क्रॉस (Test cross) क्या है? व्याख्या करें। (10+2)


Ans. जब F के संकर (hybrid) पौधे को किसी एक पितृ पौधे (parent generation), जिनसे वे उत्पन्न हुए, से 
क्रॉस कराया जाए तो इस प्रकार के क्रॉस को बैंक क्रॉस कहते हैं।

 जब F के संकर पौधे को समयुग्मजी अप्रभावी जनक (homozygous recessive parent) से क्रॉस कराते हैं तो उसे टेस्ट क्रॉस कहते हैं। 

इसे टेस्ट क्रॉस इसलिए कहा जाता है कि इस प्रकार के क्रॉस से यह पता चलता है कि संकर पौधों में प्रभावी लक्षण विषमयुग्मजी स्थिति के चलते है या समयुग्मजी स्थिति के चलते इसे निम्नलिखित उदाहरण से समझा जा सकता है!
Qno(2)प्रतिजन प्रतिरक्षा यौगिक (Antigen antibody complex) का निर्माण कैसे होता है ?

Ans. प्रतिरक्षा अणु / प्रतिरक्षा ग्लोब्युलिन की चारों श्रृंखलाएँ आपस में मिलकर Y आकार ग्रहण करता है!

 जिसके ऊपरी दो भाग विशिष्ट प्रतिजिन के साथ ताला-चाभी की तरह बंधन बनाकर प्रतिजन प्रतिरक्षा यौगिक का निर्माण करता है। 

प्रत्येक प्रतिजन का अनेक प्रतिजनित निर्धारण होता है, जिसका प्रत्येक भाग एक विशिष्ट प्रतिरक्षी के साथ संयोग कर उसके साथ बंधन बनाता है।


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Qno(2)उत्परिवर्तन के प्रकार (Kinds of Mutation) का वर्णन करें।Or, निम्न को परिभाषित करें: (I) वृहत उत्परिवर्तन, (3) अग्र उत्परिवर्तन,(2) सूक्ष्म उत्परिवर्तन, (4) प्रतिलोम उत्परिवर्तन,(5) गुणसूत्रीय उत्परिवर्तन या क्रोमोसोमल म्यूटेशन  

Ans. आकार के आधार पर उत्परिवर्तन निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं।

 (1) वृहत उत्परिवर्तन (Large mutation, or macromutation): वे सभी विभिन्नतायें जो फीनोटाइप (phenotype) में दिखाई देती है, वृहत उत्परिवर्तन कहलाती है। 

इसके अंतर्गत क्रोमोसोम की संख्या एवं संरचना में होनेवाले परिवर्तन आते हैं।

(2) सूक्ष्म उत्परिवर्तन (Small mutation, or micromutation): ऐसी विभिन्नतायें जो जीनोटाइप में होती है सूक्ष्म उत्परिवर्तन कहलाती है। इसके अंतर्गत DNA या आणविक स्तर पर हुए परिवर्तनों को सम्मिलित किया जाता है।

(3) अग्र उत्परिवर्तन (Forward mutation): जब उत्परिवर्तन वन्य गुणों से आगे की ओर होता है तो उसे अग्र उत्परिवर्तन कहते हैं, जैसे मटर के रंगीन पुष्पवाले वन्य पौधे से उत्परिवर्तन द्वारा सफेद पुष्पवाले पौधे का बनना।

 (4) प्रतिलोम उत्परिवर्तन (Reverse mutation): जब उत्परिवर्ती (mutant) जीवों सेवन्य गुणों की ओर उत्परिवर्तन हो तो इसे प्रतिलोम उत्परिवर्तन कहते हैं,

 जैसेमटर के सफेद फूलवाले पौधे से रंगीन फूलवाले पौधे का उत्परिवर्तन।

 (5) गुणसूत्रीय उत्परिवर्तन या क्रोमोसोमल म्यूटेशन (Chromosomal mutation): क्रोमोसोम की संख्या एवं संरचना में होने वाले परिवर्तनों को गुणसूत्रीय उत्परिवर्तन या क्रोमोसोमल म्यूटेशन कहते हैं।

Qno 3 परभक्षी (Predator) एवं परजीवी (Parasite) में क्या अंतर है ?
परपक्षी एवं परजीवी में निम्नलिखित अंतर हैं:-

परजीवी:-

(i) यह सजीव शरीर से पोषण प्राप्त करता है।

(2)यह मेजबान से आश्रय भी प्राप्त करता है।

(3)ये मेजबान विशिष्ट होता है।

(4)ये मेजबान की अपेक्षा छोटे होते हैं।

(5)इनमें प्रजनन क्षमता अधिक होती है एवं वितरण तंत्र कमजोर होता है।

(6)ये घुमंतु नहीं होते।

परपक्षी :-

(1)यह सजीव को मार कर उनका भक्षण करते हैं।

(2)यह जिसे मारता है उससे आश्रय प्राप्त नहीं करता है।

(3)इसे विकल्प होता है अर्थात् भक्ष्य विशिष्ट नहीं होते हैं।

(4)भक्ष्य की अपेक्षा बड़े या छोटे हो ये सकते हैं।

(5)इसमें प्रजनन क्षमता अपेक्षाकृत कमजोर एवं वितरण तंत्र मजबूत होता है।

(6) ये घुमंतु होते हैं।

परजीवी:- वह जीव जो किसी दूसरे जीव पर भोजन (तथा घर के लिए) निर्भर है परजीवी कहलाते हैं जैसे
जोक ,चींटी, अमीबा ,फीता कृमि इत्यादि परजीवी 
प्रकृति में पाए जाने वाली स्वाभाविक सहवास में 
एक ही है जिनके द्वारा एक जीव दूसरे जीव के साथ अतिथि तथा परपोषी का संबंध स्थापित करके उससे भोजन प्राप्त करता है


परभक्षी:-जंगल का वो जीब होता है जो अन्य जानवरों को मारकर अपना पेट भरता है
उदाहरण के लिए शेर, ,चीता ,अजगर 

Q(2)संघ कॉर्डेटा के प्रमुख लक्षणों को लिखें। उदाहरण सहित वर्ग तक इनका वर्गीकरण करें।


 उत्तर- इस संघ के जंतुओं में एक अक्षीय लचीली छड़ के समान आकृति, जिसे नोटोकॉर्ड कहते हैं, कंकाल के रूप में होती है। नोटोकॉर्ड या तो आजीवन या विकास की किसी-न-किसी अवस्था में अवश्य उपस्थित रहता है। स्नायु शीर्ष नली के समान एवं आहार नली के ऊपर पृष्ठ भाग में होती है। हृदय आहार नली के नीचे होती है।

 फैरिक्स की दीवार में गिल स्लिट्स भ्रूणावस्था में या आजीवन रहता है। यकृत का उद्भव आहार नली से होता है और आहार नली का रक्त हृदय में लौटने से पहले यकृत से गुजरता है। उच्च श्रेणी के कशेरूकी में नॉटोकार्ड के स्थान पर Vertebral Column होती है, जिसकी इकाई Vertebrae कहलाती है।

 इसलिए इन्हें Vertebrate कहा जाता है। यह संघ Arthropoda और Mollusca को छोड़ कर सभी समुदायों से बड़ा होता है। अतः इसे दो खंडों (Section) में विभक्त किया जाता है।

Section A-Acraniata-इस Section के अन्तर्गत जितने जन्तु होते हैं उनमें खोपड़ी, जबड़ा, कशेरूकी-सौंध एवं संयुक्त बाँहे आदि नहीं होते हैं। Section B Craniata-इस विभाग के जन्तु कशेरूकी होते हैं। इनमें खोपड़ी, जबड़ा, कशेरूकी-संधि एवं संयुक्त बाँहें आदि होते हैं। पृष्ठ स्नायु अग्रभाग की ओर फूल कर मस्तिष्क करती है। CX



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