Ans:- पात्रे-निषेचन के बाद भ्रूण स्थानांतरण के द्वारा स्त्री के जनन मार्ग में भ्रूण को स्थापित करके संतान पाई जाती है। यह एक सामान्य विधि है जिसे टेस्ट ट्यूब बेबी
कार्यक्रम कहा जाता है।
Qno2अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई संतति को क्लोन क्यों कहा जाता है?
उत्तर :- अलैंगिक जनन द्वारा जीव जैसे अमीबा और यीस्ट। इस तरह के जीवो में एक समान आकार और अनुवांशिक रूप से गुण समान होते हैं इसीलिए इसे क्लोन नाम से भी जाना जाता है।
आइए नीचे दिए गए चित्रों के द्वारा समझते हैं।
एक कोशिकीय जीव में कोशिका विभाजन दो तरह से होता है मुकुलन और द्विखंडन।
मुकुलन :- जब एक छोटा अंकुर जनक जीव के शरीर पर विकसित होता है, और समय आने पर नए जीव के रूप में अलग हो जाता है। इस प्रक्रिया को मुकुलन कहते हैं। यह प्रक्रिया हाइड्रा और यीस्ट में होता है।
द्विखंडन :- जब एकल कोशिका के बिंदु विकसित होने वाले बिंदु पर पहुंचकर दो भागों में विभक्त हो जाती है। और दो जीव का निर्माण करती है। तो इस प्रक्रिया को द्विखंडन कहते हैं। जैसे कि अमीबा।
सारांश
जनन एक प्रजाति को पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रहने योग्य बनाता है। जोवो के जनन को व्यापक रूप
से दो श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है
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अलैंगिक तथा लैंगिक जनन। अलैंगिक जनन के
अंतर्गत युग्मक का निर्माण अथवा युग्मकों का युग्मन शामिल नहीं है। ऐसे जोव जिनके शरीर की
संरचना अपेक्षाकृत साधारण होती है;
उनमें यह सामान्य रूप से पाए जाते हैं; जैसे कवक, शैवाल
तथा कुछ अकशेरूकी प्राणि। अलैगिक प्रजनन द्वारा निर्मित संतति एक समान होते हैं। इन्हें क्लोन
भी कहा जा सकता है।
अधिकांशतः शैवालों तथा कवकों में चलबीजाणु. कानिडिया आदि सामान्य
अलैंगिक संरचनाएँ होती है। मुकुलन तथा जिम्मूल निर्माण प्राणियों में सामान्य अलैंगिक विधि देखी
गई है।
प्रोकरिऔट तथा एककोशीय जीव जनक कोशिका के कोशिका विभाजन अथवा द्विखंडन युग्मन
से उत्पन्न होते हैं।
अनेक जलीय जीवों, पुष्पीय पादपों की स्थलीय प्रजातियों की संरचनाएँ जैसे
उपरिभूस्तारी, प्रकंदों, अंत:भूस्तारी कंदों एवं भूस्तरिका आदि में नयो संतानों को पैदा करने की क्षमता
होती है।
इस प्रकार के अलैंगिक जनन की विधि को कायिक प्रवर्धन कहते हैं।
लेगिक जनन के अतर्गत युग्मकों का निर्माण तथा युग्मन शामिल है। अलैगिक जनन की तुलना
में यह एक जटिल एवं धीमी प्रक्रिया है। अधिकांश उच्चश्रेणी के प्राणो पूर्णतः लैंगिक विधि द्वारा जनन
करते हैं। लैंगिक जनन की घटना को निषेचन पूर्व निषेचन तथा निषेचन के बाद को धटना में श्रेणीबद्ध
किया जा सकता है।
निषेचन पूर्व घटना के अंतर्गत युग्मकजनन तथा युग्मक स्थानांतरण जबकि
निषेचन पश्च में युग्मक का निर्माण तथा भ्रूणोदभव को ही शामिल किया गया है
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